सेवा कुंज या निधिवन
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DISCLAIMER:Small effort to expression what ever we read from our scripture and listened from saints. We are sorry if this hurts anybody because information is incorrect in any context.
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वृंदावन - मंदिर
- * वृंदावन मंदिर -परिचय
- वृंदावन महिमा
- * जहाँ चार परिक्रमा करने पर सम्पूर्ण गिरिराज परिक्रमा का फल मिल जाता है
- क्यों मचल पड़े श्री मदन मोहन जी ?
- जब रासमंडल में राधा रानी जी का एक नुपुर गिर गया
- जब शालिग्राम शिला से त्रिभंग ललित श्रीव्रजकिशोर प्रकट हो गए
- जब झोले में ही झूलन का आनंद पाने लगे राधा विनोद जी
- जब गोमा टीला से गोविंद देव जी का प्राकट्य हो गया
- जब यमुना जी से गोपीनाथ जी प्रकट हो गए
- निधिवन राज - जहाँ आज भी श्यामा श्याम करते है दिव्य रासलीला
- * जहाँ राधारानी के चरण दबाते है बिहारी जी
- * जब राधारानी जी ने भक्त के नेत्र में सुरमा लगा दिया
- * गवाही देने क्यों गए गोपाल जी ?
- * क्यों झाँकी झरोखा में है बाँके बिहारी ?
- जहाँ अष्ट पहर ठाकुर जी की सेवा होती है
- जब मचल पड़ी श्री राधा रानी जी
- जब नीलाचल से द्वारिकाधीशजी वृंदावन आ गए
- जब राधा जी बन गई गोरे दाऊ जी
- जब जगन्नाथ भगवान ने स्वयं अपना विग्रह जयदेव जी को दिया
- जहाँ शिव जी है गोपेश्वर महादेव के रूप में विराजमान
- जहाँ सवामन के शालिग्राम विराजमान है
- जब श्री विग्रह स्वयं चल पड़े
- जब श्रीविग्रह का दिल धड़कने लगा
- जब श्रीविनोदजी ठाकुर हो गए जमाई ठाकुर
- सनातन गोस्वामी जी के लिए महादेव स्वयं प्रकट हो गए
- वंशीवट सो वट नहीं
- पिसी माँ के गौर निताई
- टटिया स्थान - जहाँ विराजमान है श्री मोहिनीबिहारी जी
- जब सबके देखते-देखते श्रीगोदा जी श्रीरंगनाथ जी में समा गई
- जब महाप्रभु के विग्रह ने वृंदावन जाने को कहा
- श्रीतुलसीराम-दर्शन मंदिर - जहाँ कृष्ण भये रघुनाथ
- ज्ञान गुदड़ी - जहाँ नंद बाबा ने किये प्रयागराज के दर्शन
- श्री किशोरवन - श्री हरिराम व्यास जी की भजन स्थली
- संत स्वयं तो क्या उनका चित्र भी व्रज से बाहर ना गया
- श्रीइमलीतला - जहाँ दिव्य रूप में विराजमान है इमली वृक्ष
- श्री श्रृंगार वट -जहाँ श्रीकृष्ण ने राधारानी के केशो का श्रृंगार किया था
- श्रीकात्यायनी पीठ वृंदावन - जहाँ गोपियों ने श्रीकृष्ण प्राप्ति के लिए की थी पूजा
- श्री अष्टसखी कुंज - जहाँ श्री रासबिहारी जी अष्ट सखियों संग है विराजमान
- जब संत के नाम पर कुंज का नाम लीला कुंज पड़ा
- श्रीषड्भुज महाप्रभु जी - जहाँ श्रीराम और श्रीकृष्ण दोनों रूप में महाप्रभु विराजमान है
- सिंहपौर श्रीहनुमानजी मन्दिर - जहाँ आज भी साक्षात् है श्री हनुमान जी
- मन्दिर गोपालगुरु
- श्रीजानकीरमण जी - जहाँ श्रीजानकीरमण जी के दाये ओर जानकी जी विराजमान है
- श्रीब्रह्म कुंड - जहाँ श्री रूप गोस्वामी को श्री वृंदा देवी का श्री विग्रह प्राप्त हुआ
- श्रीबन्धुकुंज- यहाँ अब भी श्री हरिनाम की प्रधान पूजा अर्चना होती है
- श्री रंगनाथ जी - जब श्रीरंगनाथ जी ने स्वयं गोस्वामी जी के लड्डू के भोग की इच्छा की
- श्रीलीलाशुक श्रीविल्वमंगल-समाधि मन्दिर
- श्री राधामुरारी मोहन - जिसकी प्रतिष्ठा श्रीगोस्वामी तीन कौड़ी बाबा जी ने की
- श्रीकृष्ण बलराम मन्दिर (इस्काॅन)
- श्री झाड़ूमण्डल- जहाँ सिद्ध बाबा श्रीबलरामदास जी वैराग्य की पराकाष्ठा थे
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